आइये आज के समय की सबसे ज्वलंत समस्या की बात करते हैं -
Most uncommonly talked yet felt word : FOMO यानी Fear of Missing out अर्थात् पीछे छूट जाने का डर ।
आज के युग में कोई भी इस “बीमारी” से अछूता नहीं हैं क्योंकि लोग अपने विश्वास से ज़्यादा दूसरो के validation पर ज़्यादा यक़ीन करते हैI मज़ेदार बात ये हैं की हम कई बार ऐसे मंत्रमुग्ध हो जाते हैं की अपना भला बुरा भी नहीं सोच पाते और नशे की सी अवस्था में काम करते हैं ।
तब सामने वाले हमारे मनोभावों के साथ खेल, हमारा उपयोग करने लग जाता हैं I फिर उस का कहा तो पत्थर की लकीर और मेरा विश्वास नगण्य - ऐसी मानसिकता के साथ हम अक्सर अपना स्वाभिमान छोड़ दूसरो के हाथों की कठपुतली हो जाते हैं अर्थात हम अपने जीवन का रिमोट उस के हाथो में दे देते हैं
और वो अपने अनुसार हमे नचाता हैं ।
आज के सोशल मीडिया युग में ये केवल युवाओ और बुजुर्गों की ही नहीं बल्कि हर शख़्स के दिल के अंधेरे भाग में छुपा एक latest मर्ज़ हैं I BEWARE क्योंकि इस को ज़रूरत से ज़्यादा importance देने पर ये नासूर बन कैंसर में तब्दील हो सकता हैं । नीचे Millennial (यानी 1981 से 1996 तक जन्मे) लोगो के के अंदर अक्सर होने वाले FOMO का रुझान दर्शाया गया हैं :
इस के कुछ लक्षण निम्न प्रकार से होते हैं :
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आजकल ये अनजाने लोगो के like/comment हमारी युवा पीढ़ी का विश्वास बढ़ा / घटा देता हैं क्योंकि वो अपने विश्वास से ज़्यादा किन्ही दूसरो (जिन को हम ठीक से जानते भी नहीं) के नज़रिये को प्राथमिकता देते हैं I
अधिक दूसरे पर विश्वास करने लग जाये I अगर आप अपने मार्ग और विचारो पर स्थिर हैं और लोगो की बेमतलब बातों की चिंता नहीं करते तो आप सुकून में हैं। अब समय हैं FOMO से JOMO (Joy of missing out) पर जाने का जिससे ख़ुशियाँ बरकरार रहेगी और आप निष्फिक्र रहें I
JOMO में व्यक्ति दूसरे क्या कर रहे हैं की चिंता से ऊपर उठ कर अपने कार्यकालों से संतोष कर लेता हैं । इससे यकीनन उसका जीवन खुशहाल और बेहतर होगा । जब भी हम मुश्किलों से डरने की जगह हल ढूँढने पर ज़्यादा ध्यान देंगे तो सदा ही बड़ी सफलता मिलेगी, बस स्वयं पर विश्वास क़ायम रखना होगा ।
माना की आप unique हो, आप की एक विशिष्ट पहचान हैं पर सिर्फ़ मैं ही मैं हूँ, दूजा कोई नहीं मानने से काम नहीं चलता, मेरे बिना भी ये दुनिया चलती रहेगी सो किस बात का गुमान 🤔 !!! मेरे होने या ना होने से कोई भी कार्य रुकेंगे नहीं तो फिर चिंता कैसी ? मैं महत्वपूर्ण हूँ ये मानना अच्छा हैं, लेकिन सिर्फ़ मैं ही महत्वपूर्ण हूँ ये मानने से गड़बड़ शुरू हो जाती हैं ।
जब भी, जहाँ भी FOMO होने लगे, अपने और अपने ईश्वर पर विश्वास रख आगे बढ़े । फिर आप अपने सदकर्म और उपलब्धियों को बड़ा करने का प्रयास करे,
उससे लोग आप के पीछे आयेंगे ना की आप उनके पीछे जायेंगे,
बाक़ी फिर JOMO हैं ना 😊 II
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